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“SDA उपाध्यक्ष की ‘गुप्त प्रेस वार्ता’ पर सवालों की बौछार: क्या जवाब देने से बच रहे हैं संतोष राय?”

चुनिंदा पत्रकार, सीमित सवाल – क्या थी डर की वजह?

“SDA उपाध्यक्ष की ‘गुप्त प्रेस वार्ता’ पर सवालों की बौछार: क्या जवाब देने से बच रहे हैं संतोष राय?”

📍 स्थान – सहारनपुर | रिपोर्टर – एलिक सिंह
🖋️ संपादक – वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
📞 संपर्क – 8217554083


🔍 चुनिंदा पत्रकार, सीमित सवाल – क्या थी डर की वजह?

सहारनपुर विकास प्राधिकरण (SDA) के उपाध्यक्ष संतोष कुमार राय की हालिया ‘सीमित प्रेस वार्ता’ अब एक बड़े विवाद का रूप ले चुकी है। जिस वार्ता को पहले जिला सूचना विभाग ने सभी पत्रकारों के लिए घोषित किया था, उसे अचानक निरस्त कर केवल कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बुलाना न केवल संदेह पैदा करता है, बल्कि प्रशासन की पारदर्शिता पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।

सूत्रों की मानें तो यह ‘गुप्त प्रेस वार्ता’ पूर्व नियोजित बचाव रणनीति का हिस्सा थी, ताकि तीखे सवालों और असहज मुद्दों से बचा जा सके।


📊 कागज़ी आंकड़े और जमीनी हकीकत में अंतर

प्राधिकरण की ओर से दावा किया गया कि:

  • 500 अवैध निर्माण चिन्हित किए गए

    • 173 सील

    • 113 पर अभियोजन

    • 90 ध्वस्तीकरण

  • 53 अवैध कॉलोनियों में से 37 गिराई गईं, जिससे 26 हेक्टेयर जमीन मुक्त हुई जिसकी कीमत ₹43 करोड़ बताई गई

लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे उलट है। शहर के भीतर कई बहुमंजिला भवन, बिना नक्शा, अवैध बेसमेंट और बिना पार्किंग सुविधा के आज भी निर्माणाधीन हैं।


🏗️ अवैध निर्माण किसके संरक्षण में?

भगवानपुर, दिल्ली रोड, और न्यू मंडी क्षेत्र में कई ऐसे निर्माण खुलेआम चल रहे हैं जिनपर न तो कोई कार्यवाही हुई है और न ही कोई रोक। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह सब कुछ प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं।

क्या SDA इन निर्माणों से अनभिज्ञ है? या फिर जानबूझकर आंखें मूंदी जा रही हैं?


अभी भी अनुत्तरित हैं ये सवाल:

  1. जिन कॉलोनियों पर बुलडोजर चला, वहां दोबारा कब्जा हो रहा है या नहीं?

  2. सील किए गए भवन अभी भी चालू हैं – यह कैसे संभव हुआ?

  3. बजाज स्वीट्स, घंटाघर और रानीपुर क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?

  4. प्रेस वार्ता को चुनिंदा और ‘गोपनीय’ क्यों रखा गया?


🗣️ जनता का हक़, प्रेस का अधिकार

प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर बैठे अधिकारियों से पारदर्शिता और जवाबदेही की अपेक्षा स्वाभाविक है। यदि अधिकारी ईमानदारी से काम कर रहे हैं, तो फिर सवालों से बचने की जरूरत क्यों?

पत्रकारों को सीमित कर या सवालों से भागकर सच्चाई नहीं बदली जा सकती।
जनता को जानने का अधिकार है और प्रेस को सवाल पूछने का।


👉 यदि प्राधिकरण ईमानदार है, तो खुलकर संवाद करे — वरना चुप्पी को जनता सवाल समझेगी।


📌 रिपोर्टर – एलिक सिंह
संपादक – वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
जिला प्रभारी – भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद
संपर्क – 8217554083

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